इंसान || Hindi Short Poem || 1 ||
"इंसान" by theKnownIntrovert Written on 31 January 2021 Enjoy, Happy Reading ------------------------------- दुनिया की रीत से अनजान, गिरा कई दफा मै भी होकर बेजान, डराया, गिराया, भगाया गया और हुआ भी अपमान, नहीं थमा लेकिन मेरे अंदर का कभी भी ये तूफान, उठाया, भगाया, और रुलाया खुदको ही, बनकर हैवान, जानता था दुनियां में जीने का यही है बस प्रावधान, खुदको खुद ही दौड़ाया मैंने इस मैदान, जिसकी तालाश की थी कभी उस दरमियान, ढूंढ ढूंढ कर जब कोई ना मिला इस जहान, खुद को ही समझाया और बनाया एक वैसा ही इंसान, नहीं छोड़ना इस संसार में अपना कोई भी निशान, बस्ते है बस यहां पापी और कपटी शैतान, अच्छे जीते नहीं यहां ज्यादा चरित्रवान, उठा ही लेता है वो जो है सवशक्ती विद्यमान, बदलकर खुदको ना रचा ना रचना चाहूंगा ...